Saturday 18 July 2015

मेहनत का जहां में .. दूसरा सानी नही











मेहनत का जहां में .. दूसरा सानी नही             
है पसीना खून से बढकर कोई पानी नही
॰॰
भले  ही टूटता हो बदन उसका थकन से
अभी हारा नही है वो, हार उसने मानी नही
॰॰
सर झुका द्रोण का, श्रम था एक्लव्य का
हर किसी का मुकद्दर यहां खानदानी नही
॰॰
खारी पुरवाईयां, गहरी तनहाईयां सब ही हैं यहां
बस मीठे  चश्मे का ही नाम  जिन्दगानी नही
॰॰
   लक्ष्य से दूर हैं, लगते मजबूर हैं
   जब तलक  दिल मे हमने ठानी नही
हाथ थक जायेगा, चोट लग जायेगी
पर पानीयों पे तो तस्वीर बनानी नही


- जितेन्द्र तायल
   मोब. 9456590120

(स्वरचित) कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google इस ब्लॉग के अंतर्गत लिखित/प्रकाशित सभी सामग्रियों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। किसी भी लेख/कविता को कहीं और प्रयोग करने के लिए लेखक की अनुमति आवश्यक है। आप लेखक के नाम का प्रयोग किये बिना इसे कहीं भी प्रकाशित नहीं कर सकते। कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google

Friday 10 July 2015

शबनम लबो से टपका दिये तुम











तुम सुबह सवेरे जो भीग  के निकले                            
कितने ही अरमां  इस दिल मे मचले
जमाने का हमको ख्याल जो आया
पागल दिल भी लगा था सम्भलने
पर
शबनम लबो से टपका दिये तुम
सांसे हमारी ही अटका दिये तुम
                         ………………………………..     १

हमको भाने लगी है पुरवाईयां अब
काटे कटती नही है तन्हाईयां अब
बाते करने लगे है सब यार अपने
होने लगी है ……. रुसवाईयां अब

जूं छोटा सा हमको इशारा दिये तुम
आचंल को अपने लटका दिये तुम
पर
सांसे हमारी ही अटका दिये तुम
शबनम लबो से टपका दिये तुम
                       …………………………………   २
याद आ रही हो इबादत से पहले
पास आ रही हो शरारत से पहले
जब आ ही गयी हो........... तो
क्यो जा रही हो महोब्बत से पहले

क्यों हमसे ही ऐसे घबरा दिये तुम
आंचल को अपने सिमटा दिये तुम
पर
सांसे हमारी ही अटका दिये तुम
शबनम लबो से टपका दिये तुम
                       …………………………………   ३


-जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120

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Wednesday 1 July 2015

सोने के खान मिलते है










किसी को बुजुर्गो से सोने के खान मिलते है                  
किसी से विरासत मे बडे सम्मान मिलते है
॰॰
जिन्दगी की राह बताना आसान नही इतना
कम के ही राहो में पुख्ता निशान मिलते है
॰॰                                            
भले ही खो गये जिन्दगीयों की भीड में
पर कम ही अब जिन्दा इंसान मिलते है
॰॰
फल की चिन्ता छोड अगर निज कर्म किया तो         
फिर निश्चित है कि अतुल परिणाम मिलते है
॰॰
यूं सोचना कि कर दिया है कुछ अच्छा ही
जब भी तुम्हे सफर में इल्जाम मिलते है
॰॰
अगर ठान लिया दिल में लडने को तूफानो से
फिर रास्ते भी सज्जन सरल आसान मिलते है

- जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120

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