Sunday 2 August 2015

कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है











कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है                    
फिर  कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है

बडे-बुजुर्गो के चरणो मे वंदन लिखा है
जाने क्यो  बुझा-बुझा  है ये मन लिखा है
कौन हूं मै ये मुझको कौन बतायेगा
समझ ना आये क्या कहता है दर्पण लिखा है

सुबह सवेरे हमको रोज जगाती थी
गाडी की बजती  थी  वो सिट्टी लिखी है
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर  कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है

 सूना-सूना है घर का आगंन लिखा है
रूठा-रूठा हूं  खुद से ही हरदम लिखा है
 फूल या कलियां सब तो है इसमे, पर
कहां से लाये खुशबू  ये उपवन लिखा है

 लोट लगाते थे जिसमे  हम सुबह सवेरे ही
अपने आंगन की सौंधी-सौंधी  मिट्टी लिखी है
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर  कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है

झर-झर बरसे वो मीठा सावन लिखा है
कल-कल झरने थे मनभावन लिखा है
रिश्ते तो बस मतलब के ही रह गये यहां
राधा-कृष्ण का वो रिश्ता भी था कितना पावन लिखा है

बरसो भूले-भूले  थे स्वाद मिठाई का  हम, पर
लिखते-लिखते जीभ हुई है मिठ्ठी लिखी है
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर  कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है


-जितेन्द्र तायल
 मोब. 9456590120

(स्वरचित) कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google इस ब्लॉग के अंतर्गत लिखित/प्रकाशित सभी सामग्रियों के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। किसी भी लेख/कविता को कहीं और प्रयोग करने के लिए लेखक की अनुमति आवश्यक है। आप लेखक के नाम का प्रयोग किये बिना इसे कहीं भी प्रकाशित नहीं कर सकते। कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google

12 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखा सर आप ने।बहुत खूब।

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छा लिखा सर आप ने।बहुत खूब।

    ReplyDelete
  3. लोट लगाते थे जिसमे हम सुबह सवेरे ही
    अपने आंगन की सौंधी-सौंधी मिट्टी लिखी है
    कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
    फिर कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है
    … यादों का सैलाब उमड़ा है चिट्ठी में
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
    Replies
    1. सराहना के लिये बहुत शुक्रिया आदरणीया

      Delete
  4. भूले -बिसरे गीतों कि तरह मित्र आपने सुन्दर भावों को लिखा
    हृदय कि हर तार पर जाने कौन सा भुला सा फिर ये गीत लिखा
    सादर नमन

    ReplyDelete
  5. भूले -बिसरे गीतों कि तरह मित्र आपने सुन्दर भावों को लिखा
    हृदय कि हर तार पर जाने कौन सा भुला सा फिर ये गीत लिखा
    सादर नमन

    ReplyDelete
  6. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मेहनती सुप्रीम कोर्ट - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  7. आप की लिखी ये रचना....
    05/08/2015 को लिंक की जाएगी...
    http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....


    ReplyDelete
  8. वाह बहुत ही सुन्दर सृजन, वास्तव में बहुत गहरे भाव लेकर लिखा गया है

    ReplyDelete