कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है
बडे-बुजुर्गो के चरणो मे वंदन लिखा है
जाने क्यो बुझा-बुझा है ये मन लिखा है
कौन हूं मै ये मुझको कौन बतायेगा
समझ ना आये क्या कहता है दर्पण लिखा है
सुबह सवेरे हमको रोज जगाती थी
गाडी की बजती थी वो सिट्टी लिखी है
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है
सूना-सूना है घर का आगंन लिखा है
रूठा-रूठा हूं खुद से ही हरदम लिखा है
फूल या कलियां सब तो है इसमे, पर
कहां से लाये खुशबू ये उपवन लिखा है
लोट लगाते थे जिसमे हम सुबह सवेरे ही
अपने आंगन की सौंधी-सौंधी मिट्टी लिखी है
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है
झर-झर बरसे वो मीठा सावन लिखा है
कल-कल झरने थे मनभावन लिखा है
रिश्ते तो बस मतलब के ही रह गये यहां
राधा-कृष्ण का वो रिश्ता भी था कितना पावन लिखा है
बरसो भूले-भूले थे स्वाद मिठाई का हम, पर
लिखते-लिखते जीभ हुई है मिठ्ठी लिखी है
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है
-जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120
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बहुत अच्छा लिखा सर आप ने।बहुत खूब।
ReplyDeleteसादर आभार बन्धु
Deleteबहुत अच्छा लिखा सर आप ने।बहुत खूब।
ReplyDeleteलोट लगाते थे जिसमे हम सुबह सवेरे ही
ReplyDeleteअपने आंगन की सौंधी-सौंधी मिट्टी लिखी है
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
फिर कलम उठाकर मैने इक चिठ्ठी लिखी है
… यादों का सैलाब उमड़ा है चिट्ठी में
बहुत सुन्दर
सराहना के लिये बहुत शुक्रिया आदरणीया
Deleteभूले -बिसरे गीतों कि तरह मित्र आपने सुन्दर भावों को लिखा
ReplyDeleteहृदय कि हर तार पर जाने कौन सा भुला सा फिर ये गीत लिखा
सादर नमन
भूले -बिसरे गीतों कि तरह मित्र आपने सुन्दर भावों को लिखा
ReplyDeleteहृदय कि हर तार पर जाने कौन सा भुला सा फिर ये गीत लिखा
सादर नमन
सादर आभार
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मेहनती सुप्रीम कोर्ट - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआप की लिखी ये रचना....
ReplyDelete05/08/2015 को लिंक की जाएगी...
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....
आभार
Deleteवाह बहुत ही सुन्दर सृजन, वास्तव में बहुत गहरे भाव लेकर लिखा गया है
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