मत समझो हमको इस मिट्टी मे अकेले है
संस्कारो के इसमे रमते कितने ही मेले है
संस्कारो के इसमे रमते कितने ही मेले है
ये मिट्टी है मथुरा की और काशी की
याद रहे इसमे राम कृष्ण भी खेले है
ये मिट्टी नही है मिट्टी ये है चन्दन गाता हूं
मातृ भूमि के चरणो मे अभिनन्दन गाता हूं ……………………….१
इस धरती पर पावन नदियां बहती है
गौरव गाथा सदियों की यह कहती है
नदियो का भी अतुल सम्मान यहां
गंगा मां बन के भारत मे रहती है
गंगा जल से मैं तिलक लगाता हूं
मातृ भूमि का महिमा मंडन गाता हूं
ये मिट्टी नही है मिट्टी ये है चन्दन गाता हूं
मातृ भूमि के चरणो मे अभिनन्दन गाता हूं ……………………….२
भगत सिंह सा लाल यहां
बने शिवाजी महाकाल यहां
यहां बुद्ध, गांधी, सुभाष
भारत मां के कितने ही भाल यहां
अमर शहीदो के चरणो मे शीश नवाता हूं
मृत्यु का किया वीरो ने आलिंगन गाता हूं
ये मिट्टी नही है मिट्टी ये है चन्दन गाता हूं
मातृ भूमि के चरणो मे अभिनन्दन गाता हूं ……………………….३
जितेन्द्र तायल
मोब. ९४५६५९०१२०
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