तुम सुबह सवेरे जो भीग के निकले
कितने ही अरमां इस दिल मे मचले
जमाने का हमको ख्याल जो आया
पागल दिल भी लगा था सम्भलने
पर
शबनम लबो से टपका दिये तुम
सांसे हमारी ही अटका दिये तुम
……………………………….. १
हमको भाने लगी है पुरवाईयां अब
काटे कटती नही है तन्हाईयां अब
बाते करने लगे है सब यार अपने
होने लगी है ……. रुसवाईयां अब
जूं छोटा सा हमको इशारा दिये तुम
आचंल को अपने लटका दिये तुम
पर
सांसे हमारी ही अटका दिये तुम
शबनम लबो से टपका दिये तुम
………………………………… २
याद आ रही हो इबादत से पहले
पास आ रही हो शरारत से पहले
जब आ ही गयी हो........... तो
क्यो जा रही हो महोब्बत से पहले
क्यों हमसे ही ऐसे घबरा दिये तुम
आंचल को अपने सिमटा दिये तुम
पर
सांसे हमारी ही अटका दिये तुम
शबनम लबो से टपका दिये तुम
………………………………… ३-जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120
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अति सुन्दर सर।
ReplyDeleteअति सुन्दर सर।
ReplyDeleteबहुत आभार मित्रवर
Deleteबढ़िया :)
ReplyDeleteआभार आदरणीय
Deleteवाह बहुत सुंदर और मन को छूती रचना
ReplyDeleteबधाई
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आदरणीया
Deleteहमको भाने लगी है पुरवाईयां अब
ReplyDeleteकाटे कटती नही है तन्हाईयां अब
बाते करने लगे है सब यार अपने
होने लगी है ……. रुसवाईयां अब
सुन्दर पंक्तियाँ
आभार
सादर नमन आदरणीया
Deletesundar warnan .....dil ke bhawon ka
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आदरणीया
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