मेहनत का जहां में .. दूसरा सानी नही
है पसीना खून से बढकर कोई पानी नही
॰॰
भले ही टूटता हो बदन उसका थकन से
अभी हारा नही है वो, हार उसने मानी नही
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सर झुका द्रोण का, श्रम
था एक्लव्य का
हर किसी का मुकद्दर यहां
खानदानी नही
॰॰
खारी पुरवाईयां, गहरी तनहाईयां सब ही हैं यहां
बस मीठे चश्मे का ही नाम जिन्दगानी नही
॰॰
लक्ष्य से दूर हैं, लगते मजबूर हैं
जब तलक दिल मे हमने ठानी नही
॰ ॰
हाथ थक जायेगा, चोट लग जायेगी
पर पानीयों पे तो तस्वीर बनानी नही
- जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120
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सकारात्मक उर्जा से भरपूर ग़ज़ल।बहुत खूब सर।
ReplyDeleteसादर नमन मित्रवर
DeleteAchcha h
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत सुन्दर और सकारात्मक सोच...
ReplyDeleteसादर नमन
Deleteबहुत ख़ूब...सकारात्मक भाव
ReplyDeleteआभार मित्रवर
Deleteएकलव्य वाला शेर तो बहुत ही कमाल का है ... सभी शेर एक से बढ़ कर एक ...
ReplyDeleteसाद्र आभार आदयणीय
Deleteप्रोत्साहित करती, जोश से भरी हुई रचना ।
ReplyDeleteआभार
Deleteबहुत खूब सर।
ReplyDeleteInfowala