Tuesday 16 June 2015

.......सोने खरे रहते है














जब तक हम लोगो के पैरों में पडे रहते है                
सच है की उनकी ही नजरों में गिरे रहते है
॰॰
फलदार होते है अक्सर जो झुकते है अदब से
छांव भी नही देते जो अकड कर खडे रहते है
॰॰ 
गैरत और अकड में अन्तर है बहुत थोडा सा ही
जाना जिसने भी, वो अपने पैरो पर खडे रहते है
॰॰ 
दिल जीत कर जिन्दा है गांधी आज भी यहां
जाने कितने हिटलर इस मिट्टी मे गडे रहते है
॰॰ 
घर छोड रोजी को, शहर में पीले गये हम
पेड से जो जुडे रहे, वो ही पत्ते हरे रहते है
॰॰ 
बदन पर हीरे जड कर नही आता कोई दुनिया में
पर जाने के बाद कुछ नाम तो हीरे से जडे रहते है
॰॰ 
सुना है हर जख्म भर देता है ये वक्त का मरहम
पर मरहम लगा भी हमारे जख्म क्यों हरे रहते है
॰॰ 
झुलस कर काले हो गये है आग मे पड कर सब
और चमक कर निखरते है जो सोने खरे रहते है


जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120

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23 comments:

  1. हर शेर कुछ संदेश देता हुआ।खूबसूरत ग़ज़ल।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर नंगी क्या नहाएगी और क्या निचोड़ेगी { चर्चा - 2010 } पर दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  3. दिल जीत कर जिन्दा है गांधी आज भी यहां
    जाने कितने हिटलर इस मिट्टी मे गडे रहते है ..
    जबरदस्त ... बहुत ही प्रभावी बन पड़े हैं सब शेर ... कुछ न कुछ गहरी बात कहते हुए ...

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    1. बहुत शुक्रिया मित्र वर

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  4. बेहतरीन अभिब्यक्ति , मन को छूने बाली पँक्तियाँ

    कभी इधर भी पधारें

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    1. बहुत आभार आदरणीय
      आपकी गजलो के तो हम पहले से ही मुरीद है

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  5. गैरत और अकड का अंतर खूब बताया.
    अच्छी गज़ल!

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  6. उतसाह वर्धन के लिये बहुत आभार आदरणीया

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  7. बदन पर हीरे जड कर नही आता कोई दुनिया में
    पर जाने के बाद कुछ नाम तो हीरे से जडे रहते है
    इतना लाजवाब लिखा है कुछ कहने के लिए नहीं छोड़ा
    आभार

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  8. दिल जीत कर जिन्दा है गांधी आज भी यहां
    जाने कितने हिटलर इस मिट्टी मे गडे रहते है...वाह! बहुत ख़ूब

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    1. बहुत शुक्रिया मित्रवर

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  9. वाह बहुत बेहतरीन ...

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  10. बेहद खूबसूरत गज़ल।

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  11. प्रभावी हैं सब शेर

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    1. बहुत शुक्रिया मित्र वर

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  12. सब बातें गहरी हैंं। सुन्‍दर।

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