Tuesday, 12 May 2015

सूरज को ही जग को जगाना होता है















निशाना निज लक्ष्य लगाना होता है               
पहला कदम खुद ही उठाना होता है
सूरज को जगाने जाता नही कोई
सूरज को ही जग को जगाना होता है

सपनो को लक्ष्य बनाना होता है
आंसू को पलकों में छुपाना होता है
हजार गम हो इस दिल में मगर
महफिल में तो मुस्कुराना होता है

जग का दुःख हर उठाना होता है
दिल से हर डर मिटाना होता है
लाख जलजले रोकने आयें हमें
पर यही तो घर बनाना होता है

अन्दर खुद के एक खजाना होता है
उस खजाने को ही तो पाना होता है
हर दर पर जाने की नही है जरूरत
बस उस के आगे सर झुकाना होता है

हर रिश्ते को बखूबी निभाना होता है
गैरों को भी दिल से अपनाना होता है
आसान नही है इक इसांन हो जाना
खुद को भूल दूसरो का हो जाना होता है


- जितेन्द्र तायल


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11 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति...

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  2. बहुत ही शानदार प्रस्तुति सर जी

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    1. बहुत शुक्रिया दिव्या जी

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  3. बहुत सुंदर तरीके से शानदार प्रस्तुति

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