Monday, 25 May 2015

.....छपने लगे है अखबार में














ताकत भी हो सारी दुनिया की अगर इख्तियार में              
जब भी चाहतें हमारी होगीं, बस तेरे इक दीदार में
॰॰

लडकर तो जीत ली है सारी लडाईयां जमाने की पर
बिना लडे ही दिल हार बैठे है, हम तेरे इस प्यार में
॰॰

माना फूलों की सारी खूबियां है तुममे ए-दोस्त पर
महकना भूलाएगा तुझे, वो महक है मेरे किरदार में
॰॰

कीमत है यहां इस दुनिया में, कुछ न कुछ सबकी
हम सा नही मिलेगा जा, ढूढंले जाके पूरे बाजार में
॰॰

जिन्दगी के चलन में खुद को भी भूल चुके थे हम
अब ये मसरूफियतें भी कटती है तेरे ही इंतजार में
॰॰

धीरज का समन्दर भी अब तो सूखने को ही है मेरा
इतनी देर करदी है मेरे हमदम तुमने इस इजहार में
॰॰

बहुत फायदा हुआ है तेरी इस बेरूखी का भी हमे तो
शायरी मे दम आ गया, हम छपने लगे है अखबार में


जितेन्द्र तायल
मोब 9456590120



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20 comments:

  1. खूबसूरत ग़ज़ल ।

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    1. हार्दिक आभार मित्रवर

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  2. बहुत फायदा हुआ है तेरी इस बेरूखी का भी हमे तो
    शायरी मे दम आ गया, हम छपने लगे है अखबार में
    ..बहुत खूब!
    कभी न कभी सबका समय आता है ..

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  3. khubsurat shabdon se guntha gazal...

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    1. उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीया

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  4. वाह जितेंद्र जी इस शायराना अंदाज़ के क्या कहने

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    1. आप सभी मित्रो का स्नेह ही कलम की ऊर्जा है आदरणीया

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  5. बहुत फायदा हुआ है तेरी इस बेरूखी का भी हमे तो
    शायरी मे दम आ गया, हम छपने लगे है अखबार में
    चलो आ ही गया समय जिसका इंतज़ार था
    जबरदस्त लाजवाब

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    1. स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिये सादर आभार आदरणीया

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  6. लडकर तो जीत ली है सारी लडाईयां जमाने की पर
    बिना लडे ही दिल हार बैठे है, हम तेरे इस प्यार में..
    ये लड़ाई तो ऐसी ही है ... बिना लड़ के ही सब कुछ हार जाता है इंसान ... लाजवाब शेर हैं सभी इस ग़ज़ल की ...

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    1. सादर नमन आभार आदरणीय

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  7. bahut sunder ..wah kya bat hai

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    1. उत्साह वर्धन के लिये बहुत आभार आदरणीया

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  8. सुंदर भावाभिव्यक्ति

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    1. समर्थन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय

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  10. शायरी मे दम आ गया, हम छपने लगे है अखबार में
    ..बहुत खूब!

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