खाना-पीना मजे
करना, कोई जिम्मेदारी नही निभाते है
इस मस्ती मे
जानते ही नही ये जीवन कैसे बिताते है
बच्चे होने से
पहले तो सब खुद बच्चे से होते है
बच्चे ही है
जो जीवन मे आकर बडा हमे बनाते है
अपने बच्चो की
खुशी को हम घोडा बन खिलाते है
अपने घुटनो का
झूला भी बना, खूब उन्हे झुलाते है
पर क्या ये सच
नही कि, अपना खोया बचपन है यें
इनको खिलाने
के बहाने, हम खुद को ही बहलाते है
इस दुनिया के
सारे जन्तु सन्तान पे जान लुटाते है
केवल सर्प ही
सुने है जो अपने बच्चो को खाते है
ऐसा क्या अपराध
किया उस नन्ही बिटिया ने की
हम विषधर बनने
मे भी इक पल न सकुचाते है
कवि तो अपनी
कलम से इस देश को तो जगाते है
पर देश तो हम
सब देशवासी अपने घर से बनाते है
नारी अधिकारो
पर लिखना तो अब फैशन हो गया है
क्या सचमुच अपने
हम घर मे अपना धर्म निभाते है
- जितेन्द्र तायल
(स्वरचित) कॉपीराईट © 1999 – 2015 Google
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ऐसा क्या अपराध किया उस नन्ही बिटिया ने की
ReplyDeleteहम विषधर बनने मे भी इक पल न सकुचाते है
सुंदर पंक्तियाँ जितेन्द्र जी।
बहुत आभार आदरणीया
Deleteआपकी प्रतिक्रिया हमेशा कलम को प्रोत्साहित करती है
बिल्कुल सही कहा आपने। जब बचेंगीं बेटिया तभी बचेंगें बेटे।
ReplyDeleteजी कहकशां जी मेरी कुछ पक्तियां और है जो सही हाल बयान करती है गौर फरमायें....
Deleteइस दुनियां मे बेटियां, दोनो जिम्मेदारी बखूबी निभाती हैं
पिता की राजकुमारी है तो, पति की परछाई भी कहलातीं है
बेटियां है तो ये घर, नगर, वतन सब और ये जहान है
जानते तो है सब पर, ये मानना बडा इम्तिहान है
behad sarthak abhiwyakti...
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीया
Deleteइस दुनिया के सारे जन्तु सन्तान पे जान लुटाते है
ReplyDeleteकेवल सर्प ही सुने है जो अपने बच्चो को खाते है ..
इंसान तो सर्प से भी आगे निकल गया है आज ... जाने कब जागेगा और लड़कियों को बेटियों को बचाएगा ...
ठीक कहा आपने आदरणीय
DeleteVery good write-up. I certainly love this website. Thanks!
ReplyDeletehinditech
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