Wednesday, 6 May 2015

देख लो.................












अभिमान से हुआ कोई काम देख लो                         
कंस, रावण सभी का परिणाम देख लो
अभिमान छोड्ना पडा जगदीश को यहां
मुरारी ने लिया रणछोड नाम देख लो

अन्तर्मन में था कोहराम देख लो
नेकी ओ बदी में था संग्राम देख लो
जीती नेकनियत बदी की हार हुई तो
शान्त हुआ चित पडा आराम देख लो

तिनका चुगते हंस से गुणवान देख लो
कौवे को मोतियों का सम्मान देख लो
क्या चाहा था क्या हो गया अब, अपने
जग की हालत करुणानिधान देख लो

खोखली सरकारो का निजाम देख लो
क्या खूब किया है इन्तजाम देख लो
इनके मुआवजे की राह तकते-तकते
किसान हुआ नीलाम सरेआम देख लो

पत्थर के इसांन और मकान देख लो
बिकने को ही है सारा सामान देख लो
रिश्ते भी हो गये कारोबार का जरिया
जहनो में चलती-फिरती दूकान देख लो

-जितेन्द्र तायल
 मोब. 9456590120

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12 comments:

  1. बहुत बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  3. वाह .. लाजवाब है प्रस्तुति और भाव ...

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    1. उत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय

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  4. सुन्दर अहसास लिए अच्छी रचना।

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  5. Replies
    1. उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय

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