अभिमान से हुआ न कोई काम देख लो
कंस, रावण सभी का परिणाम देख लो
अभिमान छोड्ना पडा जगदीश को यहां
मुरारी ने लिया रणछोड नाम देख लो
अन्तर्मन में था कोहराम देख लो
नेकी ओ बदी में था संग्राम देख लो
जीती नेकनियत बदी की हार हुई तो
शान्त हुआ चित पडा आराम देख लो
तिनका चुगते
हंस से गुणवान देख लो
कौवे को मोतियों
का सम्मान देख लो
क्या चाहा था
क्या हो गया अब, अपने
जग की हालत करुणानिधान
देख लो
खोखली सरकारो
का निजाम देख लो
क्या खूब किया
है इन्तजाम देख लो
इनके मुआवजे
की राह तकते-तकते
किसान हुआ नीलाम
सरेआम देख लो
पत्थर के इसांन
और मकान देख लो
बिकने को ही
है सारा सामान देख लो
रिश्ते भी हो
गये कारोबार का जरिया
जहनो में चलती-फिरती
दूकान देख लो
-जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120
बहुत बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत आभार नमन
Deleteआभार आदरणीय
ReplyDeleteबहुत आभार नमन
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteबहुत आभार आदरणीया
Deleteवाह .. लाजवाब है प्रस्तुति और भाव ...
ReplyDeleteउत्साह वर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसुन्दर अहसास लिए अच्छी रचना।
ReplyDeleteसादर नमन आदरणीय
Deletesimply superb
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार आदरणीय
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