कर लो मेरा विश्वास, दिल में नही
है खोट प्रिये
गहने मगंवा दूगां, पर डगमग अभी
है बोट प्रिये
॰॰
सातो प्रण है याद मुझे, लिये सभी
हैं घोट प्रिये
इतना गुस्सा ठीक नही, हो जायेगा
विस्फोट प्रिये
॰॰
मेरे अन्तर-जन्तर-मन्तर सब तुम्हे
रिझाते हैं
छोटा-मोटा नेता मैं, तुम कीमती
हो वोट प्रिये
॰॰
चावल-चन्दन-कुमकुम, तुमको मेरे
सब अर्पण
लक्ष्मी सेवक हम, तुम हरी-हरी
सी नोट प्रिये
॰॰
घर की न्याय व्यवस्था में वकील
भी तुम
जज भी तुम, बस नही है काला कोट
प्रिये
॰॰
आज्ञा पालन करते है, गुस्से से
ही डरते है
मत उठाओ बेलन ये, लग जायेगी चोट
प्रिये
जितेन्द्र तायल
मोब. 9456590120
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वाह-वाह! जितेन्द्र जी शानदार मजेदार रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
Deleteआप गुणीजनो का उत्साह वर्धन ही प्रेरणास्रोत है
बहुत बढि़या रचना।
ReplyDeleteबहुत आभार कहकशां जी
Deleteशानदार मजेदार
ReplyDeleteआभार
Deleteखूब आनन्द आया पढ़कर।बहुत खूब सर।
ReplyDeleteखूब आनन्द आया पढ़कर।बहुत खूब सर।
ReplyDeleteखूब आनन्द आया पढ़कर।बहुत खूब सर।
ReplyDeleteआप मित्रो के उतसाह वर्धनथी कमल की उर्जा है मित्र वर
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