कौन आयेगा
लुटती है लाज द्रोपदी की, बचाने, कौन आयेगा
स्तबध है फिर ये पार्थ, समझाने, कौन आयेगा
दुष्ट तो बलशाली बहुत हो चुका फिर से यें आज
....................... सत्य गामी अकिंचन है, जिताने, कौन आयेगा
स्तबध है फिर ये पार्थ, समझाने, कौन आयेगा
दुष्ट तो बलशाली बहुत हो चुका फिर से यें आज
....................... सत्य गामी अकिंचन है, जिताने, कौन आयेगा
बुद्ध ने जो बोयी क्या वही फसल है हमारा समाज
सत्य है या फिर सत्य की बस नकल है हमारा ये आज
घायल पडी ये तीरो से, जिसे सोने की चिडिया था कहा
घायल स्वर्ण चिडिया के ये घाव, सहलाने, कौन आयेगा
सत्य है या फिर सत्य की बस नकल है हमारा ये आज
घायल पडी ये तीरो से, जिसे सोने की चिडिया था कहा
घायल स्वर्ण चिडिया के ये घाव, सहलाने, कौन आयेगा
........................ सत्य गामी अकिंचन है, जिताने, कौन आयेगा
है समन्दर के
किनारे तू, पर मन तो सूखा है
सैकडो पकवान
तेरी थाली में, फिर भी भूखा है
भूख मिटनी हो
तो काफी इक पत्ता तुलसी का
पौधा यहां शुद्ध
तुलसी का, लगाने, कौन आयेगा
........................ सत्य गामी अकिंचन है, जिताने, कौन आयेगा
कृषक
को अन्नदाता कहना इस देश में इक प्रथा है
अन्नदाता
की थाली को नही अन्न है, बडी व्यथा है
इस
व्यथा को मिटाना अब जरूरी हो तो गया है पर
प्रथा
की इस व्यथा को जड से, मिटाने, कौन आयेगा
........................ सत्य गामी अकिंचन है, जिताने, कौन आयेगा
जितेन्द्र तायल/ तायल "जीत"
मोब. 9456590120
बहुत ही सुन्दर कविता ..........आपका आभार पढवाने के लिए!
ReplyDeleteसादर अभिनन्दन
Deleteसत्य हमेशा जीतेगा ... शायद ये बात उसके जीतने के बाद ही समझ आने वाली है ... पर जरूर जीतेगा सत्य एक दिन ...
ReplyDeleteठीक कहा आदरणीय
Deleteकृषक को अन्नदाता कहना इस देश में इक प्रथा है
ReplyDeleteअन्नदाता की थाली को नही अन्न है, बडी व्यथा है
इस व्यथा को मिटाना अब जरूरी हो तो गया है पर
प्रथा की इस व्यथा को जड से, मिटाने, कौन आयेगा??
बहुत सुन्दर!
हार्दिक आभार मित्रवर
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